नीतीश कुमार एवं तेजस्वी यादव
महिलाओं के भरोसे सभी पार्टियाँ,
किसके दावों में कितना दम
बिहार विधानसभा चुनाव अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। पहले चरण की सभी औपचारिक प्रक्रियाएँ पूरी हो चुकी हैं। पहले चरण में 121 सीटों पर 6 नवंबर को मतदान होगा, जबकि दूसरे चरण में 122 सीटों पर 11 नवंबर को वोटिंग होगी। चुनाव का परिणाम 14 नवंबर को आएगा। लगभग सभी दलों ने दोनों चरणों के लिए अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। जहाँ एनडीए ने सवर्ण वर्ग पर भरोसा जताया है, वहीं महागठबंधन ने पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग को प्राथमिकता दी है। इस बार चुनाव में महिला वोटरों की भागीदारी निर्णायक भूमिका निभा सकती है। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही इस वर्ग को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएँ कर रहे हैं।
बिहार विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 7.43 करोड़ है, जिनमें पुरुष मतदाता 3.92 करोड़ और महिला मतदाता लगभग 3.50 करोड़ हैं। महिलाओं की मतदान प्रतिशत 47.2% है, जो उन्हें इस चुनाव में एक निर्णायक शक्ति बनाता है। रोचक तथ्य यह है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की मतदान अधिक है।
नीतीश सरकार ने महिलाओं के सम्मान और पारिवारिक स्थिति को सुधारने के उद्देश्य से 26 नवंबर 2015 को पूरे राज्य में शराबबंदी की घोषणा की थी। इसके तहत 1 अप्रैल 2016 से देशी शराब और 2 अक्टूबर 2016 से सभी प्रकार की शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया गया। विभिन्न अध्ययनों से यह पाया गया कि शराबबंदी के बाद उन परिवारों में जहाँ शराब पर अत्यधिक खर्च होता था, वहाँ अब खर्च भोजन व पोषण पर होने लगा है। महिलाओं की घरेलू निर्णयों में भागीदारी बढ़ी है, घरेलू हिंसा, भावनात्मक हिंसा और यौन हिंसा में उल्लेखनीय कमी आई है।
इसके अतिरिक्त, नीतीश सरकार ने वृद्ध महिलाओं को दी जाने वाली पेंशन को 400 से बढ़ाकर 1100 कर दिया है। 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली, तथा मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत हर महिला को शुरुआत में 10,000 की राशि बैंक खाते में सीधे भेजी जाती है, जिससे वह अपना स्वरोजगार शुरू कर सके। जो महिलाएँ अपने व्यवसाय में प्रगति करेंगी, उन्हें 2 लाख तक का बैंक ऋण भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना के तहत अब तक 21 लाख महिलाएँ लाभार्थी बनी हैं और सरकार द्वारा 2,100 करोड़ से अधिक की राशि ट्रांसफर की जा चुकी है।
इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा भी कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया है, जिससे महिला मतदाताओं के बीच एनडीए की स्थिति मजबूत होती दिख रही है। वर्तमान में महिलाओं को जो लाभ मिल रहे हैं, वे उनके समर्थन का मुख्य कारण बन सकते हैं। जबकि आरजेडी द्वारा किए गए वादों को कुछ लोग अनिश्चित मानते हैं।
दूसरी ओर, महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने भी महिलाओं को लुभाने के लिए कई घोषणाएँ की हैं। उन्होंने वर्ष 2024 में घोषणा की थी कि गरीब महिलाओं को सालाना 1 लाख की सहायता दी जाएगी। चुनाव को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अब यह कहा है कि यदि उनकी सरकार बनी, तो माई-बहन मान योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को हर महीने 2,500 की सहायता दी जाएगी।
इसके अलावा, विधवाओं, बुजुर्ग और दिव्यांग महिलाओं को 1,500 मासिक पेंशन, 200 यूनिट मुफ्त बिजली, और 500 में एलपीजी सिलेंडर देने का भी प्रस्ताव है। महिलाओं और बेटियों के लिए जन्म से रोजगार तक सहायता देने वाली योजनाओं का भी वादा किया गया है।जीविका दीदियों के लिए तेजस्वी यादव ने जीविका सीएम दीदी योजना के अंतर्गत उन्हें सरकार में नियमित कर्मचारी बनाने, मासिक 30,000 वेतन, कर्ज माफी, और अगले दो वर्षों तक ब्याज-मुक्त क्रेडिट कार्ड देने जैसे वादे किए हैं। ये सभी घोषणाएँ महागठबंधन के पक्ष में महिला मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास हैं।
अब देखने वाली बात यह है कि महिलाएँ वर्तमान में मिल रही योजनाओं को प्राथमिकता देती हैं या भविष्य के वादों की ओर रुख करती हैं।
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