चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री पद के लिए मंथन जारी

चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री पद के लिए मंथन जारी

चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री पद के लिए मंथन जारी

चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री पद के लिए मंथन जारी

बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही अभी कुछ समय बाकी हैलेकिन मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के दावेदारों की चर्चा जोर-शोर  से चल रही है। हालांकि मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री किसको बनाया जाता हैयह इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन-सी पार्टी या गठबंधन बहुमत हासिल कर पाता है। उसी के आधार पर मुख्यमंत्री अथवा उप मुख्यमंत्री के पद पर फैसला होगा। 

वर्तमान परिदृश्य और राजनीतिक हालात को देखते हुए कहा जा सकता हैं कि एनडीए गठबंधन के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री के दावेदारों में नीतिश कुमार सबसे अधिक मजबूत दावेदारी रखते हैंयदि बीजेपी अपना मुख्य मंत्री बनाती है तो नित्यानंद राय के भी मुख्य मंत्री बनने की संभावना हो सकती है। वैसे जेडीयू से ललन सिंह भी हाथ मार सकते हैं। वर्तमान उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा को भी लोग मुख्यमंत्री की रेस में मानते हैं । 

 दूसरी तरफ महागठबंधन के जीतने पर मुख्यमंत्री के तौर पर तेजस्वी यादव सबसे मजबूत उम्मीदवार हैं। काँग्रेस चाहती है कि बिहार में इस बार कोई मुस्लिम विधायक मुख्यमंत्री बने। यह उसके राष्ट्रीय छवि को चमकाने में काम आ सकता है। वैसे काँग्रेस के मौजूदा प्रदेश   अध्यक्ष का भी चेहरा सामने लाया जा सकता है। जन सुराज पार्टी के तरफ से फिलहाल एक मात्र चेहरा मुख्यमंत्री की कुर्सी की रेस में है और वह है प्रशांत किशोर काचेहरा। 

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार तीन-तीन उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना है। महागठबंधन यदि सत्ता में आई तो उस स्थिति में तीन उपमुख्यमंत्री का विकल्प सामने लाया जा सकता है। पहला दलित समुदाय से, दूसरा मुस्लिम समुदाय से तथा तीसरा अतिपिछड़ा वर्ग से उपमुख्यमंत्री बनाने की खबर आ रही है। तीन उपमुख्यमंत्री के फार्मूले की अभी  किसी पार्टी ने आधिकारिक घोषणा नहीं की है। 

एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में नितीश कुमार ही सबसे पसंदीदा उम्मीदवार हैं। जो 20 साल से मुख्यमंत्री पद पर आसीन हैं। एनडीए के अंदर मजबूत नेता के रूप में उनकी पहचान है। भारतीय राजनीति में नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर बहुत ही शानदार रहा है। वह बिहार की राजनीति के ही नहीं राष्ट्रीय रजनीति के भी एक प्रमुख चेहरा हैं। वह कई दशकों से राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य की दृष्टि से उन पर आगे भी मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी डाली जाएगीइसमें संशय है। 

बीजेपी के नित्यानंद राय तेजी से उभरते  नेता हैं और वर्तमान में बिहार की राजनीति में पार्टी की ओर से एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं। उनकी शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुईं और वे अब तक  चार बार विधायक तथा दो बार लोकसभा सांसद का चुनाव जीत चुके हैं।  वह प्रधानमंत्री मोदी व गृहमंत्री अमित शाह के विश्वसनीय नेताओं में से एक हैं। जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह (उर्फ ललन सिंहका नाम भी मुख्यमंत्री की संभावितलिस्ट में आ सकता है। ललन सिंह राज्यसभा सांसद व दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। वह बिहार और केंद्र में विभिन्न विभागों में  मंत्री पद संभालचुके हैं। माना जा रहा है कि ललन सिंह प्रधानमंत्री मोदी के भी काफी करीबी हैं। मुख्यमंत्री के रूप में विजय कुमार सिन्हा का नाम भी चर्चा में है। उनका राजनीतिक सफर  2005-2006 में लखीसराय से शुरू हुआ और अब नीतीश सरकार में उप मुख्यमंत्री पद पर आसीन हैं। वह भाजपा की ओर से स्पीकर तथा विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद भी संभालचुके हैं। 

            पूर्व मुख्यमंत्री व राजेडी के अध्यक्ष लालू यादव व राबड़ी देवी के छोटे पुत्र वर्तमान विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का राजनैतिक सफर 2010 में आरजेडी के प्रचार से शुरु हुआ । 2015 में वह राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने। तेजस्वी यादव दो बार उपमुख्यमंत्री पद पर भी आसीन रहे। वे फिलहाल महागठबंधन के नेता और मुख्यमंत्री के दावेदार खुद को मानते हैं। 2020 के चुनाव में भी महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप उतारा गया थालेकिन इस बार अभी तक उनका नाम सहमति के साथ सामने नहीं आया है।  

वर्तमान में कांग्रेस के बिहार विधानसभा अध्यक्ष राजेश कुमार हैं। उनकी राजनीतिक शुरुआत 2015 विधानसभा चुनाव से हुईं और वे औरंगाबाद जिले से कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल कर चुके हैं  बिहार में कांग्रेस का कोई मुख्यमंत्री 35 साल से नहीं बना है। अंतिम काँग्रेस के मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र रहेजो इस पद पर 10 मार्च 1990 तक रहे थे। उसके बाद से कांग्रेस का प्रभाव बिहार में धीरे-धीरे घटता ही चला गया। 

जन सुराज की तरफ से मुख्यमंत्री पद की पहली पसंद प्रशांत किशोरही हो सकते हैं। वे नेता से ज्यादा राजनीतिक रणनीतिकार हैं। इन्होंने कई राज्यों में चुनावी रणनीति तैयार की है तथा उसमें काफी सफल भी हुए। फिलहाल प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में अक्टूबर 2022 से सक्रिय हुए तथा जन सुराज पार्टी के तौर पर पूरे जोरशोर से बिहार में विकास व पलायन रोकने जैसे मुद्दों को लेकर  अभियान चला रहे हैं। जन सुराज पार्टी ने इस विधानसभा में पहली बार मैदान में उतरकर सभी 243 सीटों पर लड़ने की घोषणा की है। वह महिलाओं और मुस्लिमों को बड़ी संख्या में टिकट देने का भी दावा कर रहे हैं। 

उपमुख्यमंत्री पद के लिए एनडीए की तरफ से लोजपा के चिराग पासवानअशोक चौधरीमंगल पांडे आदि की चर्चा है। महा गठबंधन के मुकेश सहनी खुद ही अपना नाम उपमुख्यमंत्री के तौर पर ले रहे हैं। वे मल्लाहनिषाद समुदाय से हैजो बिहार में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक माना जा रहा है। उन्होने  विकासशील इंसान पार्टी की स्थापना 2018 में की थी।  

 

 

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