सीट शेयरिंग फार्मूलें ने बीजेपी को बिहार में बनाया एनडीए का बॉस

सीट शेयरिंग फार्मूलें ने बीजेपी को बिहार में बनाया एनडीए का बॉस

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

सीट शेयरिंग फार्मूलें ने बीजेपी को बिहार में बनाया एनडीए का बॉस 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीट शेयरिंग फार्मूलें ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि भाजपा इस बार के चुनाव में जेडीयू के बड़े भाई की भूमिका में होगी। यह इस बात का भी प्रमाण है कि इस चुनाव में एनडीए का बॉस जेडीयू या नीतीश कुमार नहीं हैं, बल्कि बीजेपी या पीएम मोदी हैं। 2005 से भाजपा-तथा जेडीयू के बीच गठबंधन है और पहली बार ऐसा हुआ है कि दोनों पार्टी ने बराबर सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है। इसके पहले 20 सालों में बिहार में जितने भी गठबंधन में चुनाव हुए हैं, सबमें जेडीयू ही अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा है। 

यह भी देखा गया है कि पिछले 20 सालों में बिहार में बीजेपी अपनी स्थिति मजबूत करती गई, और वहीं जेडीयू का जनाधार घटता गया। बीजेपी तथा जेडीयू का एनडीए गठबंधन पहली बार 2005 में चुनाव में उतरा था। उस समय बीजेपी 103 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, पर केवल 37 सीटों पर ही  विजय प्राप्त कर सकी थी, जबकि जेडीयू उस समय 138 सीटों पर चुनाव लड़कर 55 सीटों पर विजय रहा। उसी साल दुबारा बिहार में फिर चुनाव हुआ और बीजेपी को लड़ने के लिए 102 सीटें दी गयीं, इस बार भाजपा ने 55 सीटों पर कब्जा जमाया और 139 सीटों चुनाव लड़कर 88 सीटों पर विजय प्राप्त करने वाले जेडीयू के साथ पूरे पाँच साल सरकार में रही। 

2010 में होने वाले बिहार विधान सभा के चुनाव में भाजपा के हिस्से में फिर से 102 सीटें आईं, लेकिन इस बार बीजेपी ने भारी सफलता प्राप्त की और 91 सीटों पर विजय हासिल कर ली। जबकि जेडीयू ने 141 सीटों पर चुनाव लड़कर 115 सीटों पर अपना परचम लहरा दिया। यह एनडीए का बिहार में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। 2015 के चुनाव में एनडीए से नीतीश कुमार जब बाहर आ गए तो भाजपा ने अकेले 157 सीटों पर लड़ने का फैसला किया, लेकिन जीत केवल 53 सीटों पर ही प्राप्त हो सकी। दूसरी तरफ जेडीयू ने महागठबंधन से मिलकर 101 सीटों पर चुनाव लड़कर 71 सीटों पर विजय प्राप्त की। राजद, कांग्रेस तथा जेडीयू ने एक साथ चुनाव लड़कर एनडीए को शिकस्त दे दिया और महागठबंधन की सरकार बन गई। लेकिन यह प्रयोग ज्यादा फलदायक नहीं रहा और 2017 में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद के हस्तक्षेप और राजद के भ्रष्टाचार को देखते हुए गठबंधन तोड़ दिया और एक बार फिर भाजपा के साथ मिलकर एनडीए की सरकार बना ली। 

इसके बाद बिहार विधानसभा का चुनाव 2020 में आया और एक बार फिर भाजपा को नीतीश कुमार ने विशेष महत्व दिया और गठबंधन में 110 सीटें बीजेपी को देने का निर्णय कर लिया। बीजेपी इस चुनाव में 74 सीटों को जीतने में कामयाब रही, जबकि जेडीयू सबसे अधिक 115 सीटों पर चुनाव लड़कर भी केवल 43 सीटों को ही अपनी झोली में डालने में कामयाब हो सका। फिर भी बीजेपी ने जेडीयू को ही गठबंधन में बड़ा भाई माना और नीतीश कुमार को ही फिर से मुख्यमंत्री का दायित्व सौंप दिया। हालांकि 2022 के अगस्त में नीतीश कुमार ने फिर से बीजेपी से नाता तोड़ने का फैसला किया और लालू प्रसाद यादव के बेटों के साथ नई सरकार बना ली। लेकिन बीजेपी- जेडीयू के बीच दूरियाँ नीतीश कुमार को रास नहीं आई और पुनः 28 जनवरी 2024 को एनडीए में लौट आए। तब से बीजेपी जेडीयू के बीच एक मधुर संबंध बना हुआ है। 

अब जब 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख सामने आई तो सबके मन में यह सवाल भी आया कि क्या अब भी नीतीश कुमार ही चुनाव का नेतृत्व करेंगे या फिर बढ़ती उम्र और घटते जनाधार से बचने के लिए किसी और को वह नेतृत्व सौंप देंगे। अब यह जवाब भी आ गया है कि भाजपा को ही नेतृत्व दे दिया जाय और चुनाव जीतने का सारा दारोमदार बीजेपी या पीएम मोदी पर ही डाल दिया जाए। क्योंकि यह जेडीयू को भी पसंद आ रहा है। जेडीयू के नेताओं को मालूम है कि नीतीश के सक्रिय नहीं रहने के सूरत में उनके पार्टी धीरे-धीरे कमजोर ही होती जाएगी। 

 

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