अदालत के फैसले से तेजस्वी का तेज हुआ खत्म, बिहार विधानसभा चुनाव में बढ़ेंगी मुश्किलें

अदालत के फैसले से तेजस्वी का तेज हुआ खत्म, बिहार विधानसभा चुनाव में बढ़ेंगी मुश्किलें

अदालत के फैसले से तेजस्वी यादव का तेज हुआ खत्म

अदालत के फैसले से तेजस्वी का तेज हुआ खत्म, बिहार विधानसभा चुनाव में बढ़ेंगी मुश्किलें 

 दिल्ली की एक अदालत के फैसले ने राजद की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव के तेज को खत्म कर दिया है। कोर्ट ने उनपर भी धोखाधड़ी का मुकदमा चलाने का फैसला सुनाया है। हालांकि इस फैसले से तेजस्वी यादव के चुनावी सफर पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ने वाला, लेकिन उनके विरोधियों को उनके खिलाफ एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। अब केवल विरोधी ही नहीं महागठबंधन के अन्य घटक भी तेजस्वी यादव पर टिकट बंटवारें में दवाब बनाने की कोशिश करेंगे। यहीं नहीं अब उनको महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने में भी दिक्कत आ सकती है। 

महागठबंधन में कांग्रेस तथा अन्य सहयोगी दल पहले से ही सीट बंटवारें को लेकर पेंच फंसा रहे थे, दिल्ली आगमन के बावजूद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से काँग्रेस का नेतृत्व नहीं मिला। यहाँ तक कि राहुल गांधी और तेजस्वी की मुलाकात भी नहीं हो सकी। कोर्ट द्वारा लालू परिवार के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने के फ़ैसले ने सब कुछ बदल कर रख दिया। उल्लेखनीय है कि 13 अक्टूबर को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 2004 से 2009 के दौरान आईआरसीटीसी घोटाले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी तथा तेजस्वी यादव समेत अन्य के खिलाफ आरोप तय कर दिया , जिसमें  तेजस्वी यादव पर धारा 420 और 120 बी के तहत मुकदमा चलना तय हो गया। 

बताते हैं कि यह  मामला तब का है जब लालू प्रसाद यादव केन्द्र में रेल मंत्री थे।  उस समय भारतीय रेलवे की सहायक कंपनी आईआरसीटीसी  ने  उड़ीसा के पुरी एवं रांची के बीएनआर होटल के संचालन का अधिकार  सुजाता होटल प्रा.लिमिटेड को दे दिया था। जांच के अनुसार इस प्रक्रिया में कई अनियमिताएं हुई और नियमों के विरुद्ध लाभ दिलाया गया था। कोर्ट द्वारा तय आरोपों के अनुसार सीबीआई ने अपनी जांच में यह पाया था कि सुजाता होटल प्रा. लिमिटेड कंपनी को ठेका देने के बदले लालू परिवार से जुड़ी एक बेनामी कंपनी को पटना में कम कीमत पर जमीन दी थी।  सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि लालू प्रसाद यादव ने रेलमंत्री रहते इस ठेका को दिलाने में अपने पद का दुरुपयोग किया। अब कोर्ट ने भी सीबीआई की दलील को स्वीकार कर लिया है। 

अब यह मुद्दा विधान सभा के चुनाव में तेजस्वी के खिलाफ विरोधी दलों के लिए एक बड़ा हथियार बन सकता है। इस घटना से महागठबंधन में घटक दलों द्वारा संभावित सीटों के बंटवारे पर भी असर देखने को मिल सकता है। कांग्रेस व अन्य घटक दल पहले से ही आरजेडी के सीट बंटवारे के फार्मूला से असंतुष्ट थे। हालांकि तेजस्वी यादव अपने सहयोगियों कांग्रेस,वामदल को यह भरोसा दिलाने का भरसक प्रयास करेंगे कि गठबंधन पर कोई असर नहीं होगा। वह अपने ऊपर लगे इस आरोप की आंच गठबंधन पर नहीं आने देंगे। 

 

 

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