जंग की आग से फिर झुलसेगी दुनिया, मिडिल ईस्ट में लगातार बढ़ते तनाव के बीच ईरान ने किया इंतकाम का ऐलान, भारत पर भी पड़ेगा असर

हमास के पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हनियाह की हत्या उस वक्त हुई जब वह ईरान की राजधानी तेहरान में नए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान के शपथ ग्रहण समारोह में मेहमान के तौर पर बुलाए गये थे। वह जिस इमारत में रुके हुए थे, उस पूरी इमारत को ही हवाई हमला करके उड़ा दिया गया।

जंग की आग से फिर झुलसेगी दुनिया, मिडिल ईस्ट में लगातार बढ़ते तनाव के बीच ईरान ने किया इंतकाम का ऐलान, भारत पर भी पड़ेगा असर

ईरान में हमास नेता के समर्थन में बदला लेने की आवाज तेज हो गई है। (फोटो- सोशल मीडिया)

इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग का अंत अभी नहीं हुआ है, लेकिन उससे बड़ी जंग की आहट शुरू हो गई है। इससे दुनिया भर में हलचलें हो रही हैं। जब से हमास के पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हनियाह  की हत्या हुई है, उसके बाद से ही यह माना जा रहा है कि इसमें सीधे तौर पर इजरायल का हाथ है। इस बीच IDF ने हमास के मिलिट्री कमांडर मोहम्मद देइफ के मारे जाने को ऑफिशियली कन्फर्म कर दिया है। ये दोनों नेता हमास के शीर्ष नेताओं में शामिल रहे हैं। अब उसके टॉप थ्री नेताओं में दो के मारे जाने के बाद याह्या सिनवार ही बाकी है। इससे यह साफ हो गया है कि 7 अक्टूबर को अपने नागरिकों पर हुए हमले का बदला इजरायल ने ले लिया है। इससे इस बात की आशंका बढ़ गई है कि अब बदले की कार्रवाई में बड़ी जंग होगी। फिलिस्तीनी को दूर से समर्थन कर रहे देश खुद भी इस जंग में शामिल हो सकते हैं। इसका असर दुनियाभर में पड़ेगा। भारत और अमेरिका भी इससे प्रभावित होंगे।  

हमास के पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हनियाह  की हत्या उस वक्त हुई जब वह ईरान की राजधानी तेहरान में नए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान के शपथ ग्रहण समारोह में मेहमान के तौर पर बुलाए गये थे। वह जिस इमारत में रुके हुए थे, उस पूरी इमारत को ही हवाई हमला करके उड़ा दिया गया। ईरान ने ऐलान किया है कि वह इजरायल से इसका बदला लेगा। हमास के लिए भी अपने नेता की हत्या बड़ी क्षति है और वह इसे उकसावे की कार्रवाई बता रहा है।

ऐसा कहा जा रहा है कि इस्माइल हनियाह  एक मध्यमार्गी नेता थे और वह युद्ध बंधकों को छुड़ाने और जंग खत्म कराने के सिलसिले में शांतिपूर्ण ढंग से मध्यस्थता करने की बात कर रहे थे। वह लंबे समय से कतर में रह रहे थे। दूसरी तरफ ईरान में राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह जैसे खास मौके पर उन पर हमला ईरान के लिए भी बड़ा धक्का देने वाली बात है। ईरान हमेशा से हमास का सहयोगी रहा है और उसको सुरक्षा देता रहा है। इजरायल से ईरान का हमेशा से विरोध रहा है। इस हमले के बाद से इजरायल ईरान के लिए और बड़ा दुश्मन बन गया है।

ईरान के अंदर भी इस्माइल हनियाह  की मौत का बदला लेने की मांग तेज हो गई है। नए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान पर इसको लेकर दबाव भी बढ़ गया है। उनकी छवि उदारवादी नेता की है, लेकिन यह छवि कट्टरपंथियों को रास नहीं आता है।

अगर मिडिल ईस्ट के देशों में जंग तेज होती है तो भारत पर भी इसका असर पड़ेगा। भारत के करीब 90 लाख नागरिक इन देशों में काम करते हैं। युद्ध तेज होने पर वहां अस्थिरता बढ़ेगी और भारतीय नागरिकों के कामकाज पर असर पड़ेगा। दूसरी बात हमारे कच्चे तेल की आपूर्ति का दो-तिहाई हिस्सा इन्हीं देशों से होती रही है। वैसे अब भारत ज्यादातर तेल रूस से खरीद रहा है, लेकिन इन देशों पर भी हमारी निर्भरता बनी हुई है। 

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