यह योजना भारत में सामाजिक सुरक्षा को एक नए स्तर पर ले जाने की क्षमता रखती है। अगर इसे प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो यह देश के करोड़ों लोगों को वृद्धावस्था में आत्मनिर्भर बनाएगी और सामाजिक सुरक्षा के दायरे को व्यापक करेगी।
नई ‘यूनिवर्सल पेंशन स्कीम’ के जरिए सरकार हर नागरिक के लिए पेंशन लाने जा रही है। ( फोटो- सोशल मीडिया)
देश में एक ऐसी पेंशन क्रांति आने वाली है, जो सिर्फ नौकरीपेशा लोगों तक सीमित नहीं रहेगी। मोदी सरकार "यूनिवर्सल पेंशन स्कीम" लाने की तैयारी कर रही है, जिससे असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, छोटे व्यापारियों, और स्व-रोजगार करने वालों को भी वित्तीय सुरक्षा मिलेगी। यह स्कीम वॉलंटरी और अंशदायी होगी, यानी इसमें कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से योगदान कर सकेगा और 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन का लाभ ले सकेगा। श्रम मंत्रालय ने इस योजना के स्वरूप पर चर्चा शुरू कर दी है और इसे जल्द ही लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
सरकार इस नई योजना के तहत मौजूदा पेंशन योजनाओं को एक छतरी के नीचे लाने की योजना बना रही है। इसमें प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (PM-SYM), राष्ट्रीय पेंशन योजना फॉर ट्रेडर्स एंड सेल्फ-इम्प्लॉयड (NPS-Traders) और अटल पेंशन योजना (APY) को शामिल किया जा सकता है। वर्तमान में इन योजनाओं में 60 वर्ष की उम्र के बाद ₹3,000 मासिक पेंशन मिलती है, जिसमें व्यक्ति और सरकार, दोनों का योगदान शामिल होता है। नई योजना से यह प्रक्रिया और आसान और प्रभावी बनाई जाएगी, जिससे अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ सकें।
सूत्रों के मुताबिक, इस स्कीम को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत एक समेकित प्लेटफॉर्म पर लाने पर विचार किया जा रहा है। सरकार चाहती है कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, व्यापारियों और स्वयं-रोजगार करने वालों को पेंशन के दायरे में लाने के लिए एक ऐसा ढांचा तैयार किया जाए, जिससे वे सरल और सुविधाजनक तरीके से इसमें योगदान कर सकें। एक बार रूपरेखा तैयार होने के बाद, हितधारकों के साथ चर्चा कर इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
नई पेंशन स्कीम में निर्माण क्षेत्र के मजदूरों के लिए विशेष प्रावधान किए जा सकते हैं। बिल्डिंग और अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स (BoCW) एक्ट के तहत सरकार ने जो उपकर (Cess) एकत्र किया है, उसका उपयोग इन मजदूरों की पेंशन फंडिंग में किया जा सकता है। इससे निर्माण मजदूरों को बिना अतिरिक्त आर्थिक बोझ के, रिटायरमेंट के बाद पेंशन की सुरक्षा मिल सकेगी। सरकार चाहती है कि हर कामगार, चाहे वह किसी भी सेक्टर में हो, उसे वृद्धावस्था में वित्तीय संकट का सामना न करना पड़े।
सरकार इस स्कीम में राज्यों की भागीदारी को भी सुनिश्चित करने की योजना बना रही है। अगर राज्य सरकारें अपने स्तर पर इस योजना में योगदान देती हैं, तो पेंशन की राशि में बढ़ोतरी हो सकती है और दोहरी योजनाओं की गड़बड़ी से बचा जा सकता है। केंद्र सरकार राज्यों को इस योजना के तहत अपने मौजूदा पेंशन सिस्टम को समाहित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है, जिससे पूरे देश में एक 統一 (यूनिफाइड) पेंशन सिस्टम लागू हो सके।
भारत में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 2036 तक देश में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या 227 मिलियन (22.7 करोड़) तक पहुंचने की संभावना है, जो 2050 तक 347 मिलियन (34.7 करोड़) हो सकती है। ऐसे में, सरकार चाहती है कि अमेरिका, यूरोप, चीन और कनाडा जैसे देशों की तरह सभी के लिए पेंशन व्यवस्था को मजबूत किया जाए। मौजूदा समय में, भारत में सामाजिक सुरक्षा योजनाएं मुख्य रूप से भविष्य निधि (PF), वृद्धावस्था पेंशन और केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य बीमा योजनाओं तक ही सीमित हैं। लेकिन इस नई योजना के जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि हर नागरिक, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में काम करता हो, वृद्धावस्था में आर्थिक रूप से सुरक्षित रहे।
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