हरियाणवी राजनीति के कौन थे तीन 'लाल'? कैसे बनी नायक की पहचान

राजनीति में चौधरी बंसीलाल और चौधरी भजनलाल के बाद उनके परिवार के लोग ज्यादा सक्रिय नहीं रहे, लेकिन चौधरी देवीलाल का परिवार आगे भी सक्रियता से राजनीति में बना रहा।

हरियाणवी राजनीति के कौन थे तीन 'लाल'? कैसे बनी नायक की पहचान

चौधरी देवीलाल, चौधरी बंसीलाल और चौधरी भजनलाल। (फोटो- सोशल मीडिया)

हरियाणा की राजनीतिक पहचान किसान नेताओं के गढ़ के रूप में रही है, लेकिन उसकी एक और बड़ी पहचान तीन ‘लालों’ के गढ़ होने के रूप में है। एक समय देश और राज्य की राजनीति में चौधरी देवीलाल, चौधरी बंसीलाल और चौधरी भजनलाल का नाम शीर्ष राजनेताओं के रूप में लिया जाता था। चौधरी देवी लाल को राजनीतिक जगत में ताऊ भी कहा जाता था। लंबे समय तक हरियाणा की राजनीति इन्हीं तीन लालों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। हरियाणा को राज्य का दर्जा मिलने के बाद ये तीनों नेता वहां सीएम रहे हैं। बाद में ये केंद्र की राजनीति में आ गए और संसद के महत्वपूर्ण सदस्य बन गए।

चौधरी बंसीलाल ऐसे नेता हैं, जिनके नाम राज्य में सबसे लंबे समय तक सीएम रहने का रिकॉर्ड अभी तक कायम है। उन्हें हरियाणा के विकास का निर्माता भी कहा जाता रहा है। वह हमेशा अपने क्षेत्र से ही चुनाव मैदान में उतरते रहे हैं। दूसरी तरफ ताऊ देवीलाल और भजनलाल अपने घरेलू लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र के अलावा दूसरे क्षेत्र से भी मैदान में उतरे हैं। देवीलाल ने सिरसा के बजाय रोहतक से चुनाव लड़ा था और वह प्रदेश के सभी दस सांसदों में से सर्वाधिक मत के अंतर से जीते थे। सर्वाधिक मतों के मामले में दूसरे नंबर पर चौधरी बंसीलाल रहे थे तो तीसरे नंबर पर चौधरी भजनलाल थे। भजन लाल तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। वह पहली बार 1979 में फिर से 1982 और 1991 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे। वह एक बार केंद्रीय कृषि मंत्री रह चुके थे।

ताऊ देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री भी बने थे। उन्होंने वर्ष 1989 से 1990 और 1990 से 1991 तक उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ में जीत का कीर्तिमान बनाया था। ताऊ देवीलाल का गृह क्षेत्र सिरसा उस समय सामान्य वर्ग में था। हालांकि, वर्तमान में यह सीट आरक्षित है। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल का गढ़ हिसार था, पर उन्होंने भी हिसार की बजाय फरीदाबाद से चुनावी ताल ठोकते हुए साबित किया था कि उनके लिए मैदान कोई मायने नहीं रखता है।

राजनीति में चौधरी बंसीलाल और चौधरी भजनलाल के बाद उनके परिवार के लोग ज्यादा सक्रिय नहीं रहे, लेकिन चौधरी देवीलाल का परिवार आगे भी सक्रियता से राजनीति में बना रहा। देवीलाल के पुत्र ओमप्रकाश चौटाला भी बाद में राज्य के मुख्यमंत्री बने और उनके पुत्र और प्रपौत्र भी राजनीति में आगे बढ़े। देवीलाल के पोते और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेता दुष्यंत चौटाला ने पिछले विधानसभा चुनावों में सरकारी नौकरियों में जाट समुदाय के लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की मांग पर जोर देने के लिए चलाए आंदोलनों के जरिए बेरोजगार जाट युवाओं के प्राप्त समर्थन के बल पर दस विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर कांग्रेस को बहुमत पाने से वंचित कर दिया था। वे बीजेपी के साथ सत्ता में रहकर उपमुख्यमंत्री भी रहे। हालांकि अब उनका और राजनीति में सक्रिय परिवार के अन्य लोगों का प्रभाव कम हो गया है। 

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