सरकार इसे भ्रष्टाचार पर लगाम कसने की सख्त कार्रवाई बता रही है, जबकि विपक्ष इसे चुनिंदा कार्रवाई करार देकर सवाल उठा रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या AAP की यह रणनीति 2027 के चुनावों से पहले उसकी छवि सुधार पाएगी, या फिर यह भी एक राजनीतिक हथकंडा साबित होगा?
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान। (Photo- Social Media)
पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम को नए सिरे से तेज कर दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में हाल ही में कई बड़े प्रशासनिक फैसले लिए गए, जिनमें 50 से ज्यादा पुलिस अधिकारियों की बर्खास्तगी, नौ जिलों में नए पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति और 236 लॉ ऑफिसर्स से इस्तीफा मांगना शामिल है। सरकार इसे भ्रष्टाचार पर लगाम कसने की सख्त कार्रवाई बता रही है, जबकि विपक्ष इसे चुनिंदा कार्रवाई करार देकर सवाल उठा रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या AAP की यह रणनीति 2027 के चुनावों से पहले उसकी छवि सुधार पाएगी, या फिर यह भी एक राजनीतिक हथकंडा साबित होगा?
साल 2022 में आम आदमी पार्टी (AAP) ने पंजाब विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की थी, लेकिन तीन साल बाद पार्टी को अपनी भ्रष्टाचार विरोधी छवि को दोबारा मजबूत करने की जरूरत महसूस हो रही है। दिल्ली में शीश महल विवाद और कथित शराब घोटाले के बाद AAP को एहसास हुआ कि उसका मुख्य चुनावी एजेंडा कमजोर हो रहा है। इसी के मद्देनजर पंजाब की भगवंत मान सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सरकार ने हाल ही में 236 लॉ ऑफिसर्स से इस्तीफे मांगे, जिसमें सरकारी वकीलों के प्रदर्शन पर सवाल उठाए गए। इस फैसले के पीछे सरकार की मंशा भ्रष्टाचार पर लगाम कसने की है, लेकिन यह फैसला राजनीतिक बहस का कारण भी बन गया है।
AAP सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने रुख को और सख्त करते हुए पंजाब पुलिस में बड़े स्तर पर कार्रवाई की है। 50 से ज्यादा पुलिस अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में बर्खास्त किया गया, जबकि नौ जिलों में नए पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति की गई। इसके अलावा, आठ एसपी और 10 डिप्टी एसपी को भी निलंबित कर दिया गया है। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की इस मुहिम के तहत श्री मुक्तसर साहिब के डिप्टी कमिश्नर राजेश त्रिपाठी को भी निलंबित किया गया। इसके बाद से राज्य की नौकरशाही और पुलिस विभाग में हलचल तेज हो गई है।
जहां AAP सरकार इसे अपने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की सफलता के रूप में पेश कर रही है, वहीं विपक्ष ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ निचले स्तर के अधिकारियों को निशाना बना रही है, जबकि बड़े अधिकारियों और नेताओं को बचाया जा रहा है। उन्होंने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला का उदाहरण देते हुए कहा कि उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसी तरह, पूर्व मंत्री फौजा सिंह सरारी के वायरल ऑडियो क्लिप पर भी सरकार ने कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की।
AAP ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि सरकार पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध है। पार्टी प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कड़े कदम उठा रही है। हेल्पलाइन के जरिए मिली 1,900 शिकायतों में से 438 मामलों में FIR दर्ज की गई और 817 गिरफ्तारियां हुईं। उन्होंने कहा कि विपक्ष सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन AAP अपने एजेंडे पर कायम रहेगी।
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