बांदा जनपद के जिला प्रशासन की ओर से यह सम्मान मुख्य विकास अधिकारी वेद प्रकाश मौर्य और पूर्व जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने संयुक्त रूप से राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से ग्रहण किया।
पुरस्कार समारोह की कुछ अनमोल झलक।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 5वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2023 के तहत उत्तर प्रदेश के बांदा जिले को सर्वश्रेष्ठ जिला श्रेणी में विजेता का पुरस्कार दिया। इससे बांदा ने एक नया मुकाम हासिल किया है। यह सम्मान बांदा जिले को जल संरक्षण के क्षेत्र में सामुदायिक प्रयास के लिए दिया गया है। जिले ने लगभग 400 तालाबों का पुनरुद्धार, 3,300 खेत की मेड़, 530 खेत के तालाब, 250 छत पर वर्षा जल संचयन संरचनाएं, 4,690 सोख गड्ढे और 460 चेक डैम का निर्माण किया है। ये प्रयास न केवल बांदा, बल्कि समस्त बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए गौरव का विषय हैं।
भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 5वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार, 2023 के दौरान यह सम्मान प्रदान किया। इस समारोह में 09 श्रेणियों में संयुक्त विजेताओं सहित 38 विजेताओं को जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया। प्रत्येक पुरस्कार विजेता को प्रशस्ति पत्र, ट्रॉफी और कुछ श्रेणियों में नकद पुरस्कार भी दिए गए।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक 'जल कलश' समारोह से हुई, जिसमें जल का महत्व दर्शाने के लिए कलश की पूजा की गई। सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने पुरस्कार विजेताओं की सराहना की और कहा कि जल संरक्षण और प्रबंधन में उनका योगदान असाधारण है। यह योगदान राष्ट्र के विकास की दिशा में आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण स्थापित करेगा।
इस अवसर पर भारत सरकार के पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित और पिछले तीन दशक से बुंदेलखंड में जल संरक्षण के लिए लगातार संघर्ष करने वाले जल योद्धा उमा शंकर पांडेय भी मौजूद रहे। उन्होंने भी अपने अनुभव साझा किए। उनका योगदान समाज में जल के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण रहा है।
बांदा जनपद के जिला प्रशासन की ओर से यह सम्मान मुख्य विकास अधिकारी वेद प्रकाश मौर्य और पूर्व जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने संयुक्त रूप से ग्रहण किया। यह मान पत्र और स्मृति चिन्ह बांदा कलेक्ट्रेट में रखा जाएगा और मुख्य विकास अधिकारी वेद प्रकाश मौर्य जिलाधिकारी बांदा महोदय को सौंपेंगे।
महामहिम राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा कि पुरस्कार सम्मान आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं और यह जिम्मेदारी भी है। उन्होंने जल जोड़ने के पूर्वजों के अद्भुत तरीकों, जैसे तालाब और कुएं के निर्माण का उल्लेख करते हुए कहा कि भविष्य की युवा पीढ़ी को जल संरक्षण के प्रयासों में आगे आना होगा। सभी सभ्यताओं का जन्म नदियों के समीप हुआ है, और छोटे-छोटे प्रयास बड़े परिणाम लाते हैं। इस दिशा में सामूहिक प्रयास करना आवश्यक है।
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री, श्री सी. आर. पाटील ने पुरस्कार विजेताओं के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, "इन पुरस्कारों ने जल प्रबंधन के क्षेत्र में गहरी छाप छोड़ी है और इसके माध्यम से एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण का निर्माण हुआ है।" इसके साथ ही, माननीय राज्य मंत्री श्री राज भूषण चौधरी और माननीय राज्य मंत्री श्री वी. सोमन्ना ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने जल संरक्षण के महत्व पर जोर दिया और कहा कि हमें इसके लिए लगातार प्रयास करना चाहिए।
सचिव, जल संसाधन विभाग श्रीमती देबाश्री मुखर्जी और सचिव पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय विनी महाजन ने भी इस अवसर पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि जल प्रबंधन की दिशा में उठाए गए कदमों से समाज में जागरूकता बढ़ेगी और इसे सभी स्तरों पर लागू किया जाएगा।
बांदा को यह सर्वश्रेष्ठ सम्मान मिला, जो बुंदेलखंडवासियों के लिए गौरव की बात है। मंच पर मौजूद विशिष्ट अतिथियों ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और कहा कि हमें और भी प्रयास करने होंगे, क्योंकि यह केवल एक शुरुआत है।
अंत में, महामहिम ने कहा, "जल ही जगदीश है, पानी ही परमेश्वर है, पानी ही परमात्मा है।" यह संदेश हमें प्रेरित करता है कि हम जल के महत्व को समझें और इसके संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करें।
Chose One of the Following Methods.
Sign in Using Your Email Address