बिहार के राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आपराधिक मामलों से घिरे उम्मीदवारों का चयन किशोर की "स्वच्छ छवि" के सिद्धांत पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। हालांकि, पार्टी ने यह स्पष्ट किया है कि उसने उम्मीदवारों के पृष्ठभूमि की जांच की है और जो मामले हैं, वे राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं।
जनसुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर। (फोटो- सोशल मीडिया).
बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP) ने हाल के विधानसभा उपचुनावों के लिए अपने चार उम्मीदवारों की घोषणा की है, लेकिन पार्टी को तुरंत ही विवादों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से तीन उम्मीदवार ऐसे हैं जिन पर आपराधिक मामले लंबित हैं, जो प्रशांत किशोर के "स्वच्छ छवि" के वादे को सवालों के घेरे में डाल रहे हैं। बिहार में उपचुनावों की यह आवश्यकता तारारी, रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज की सीटों पर पड़ी, जहां पहले के विधायकों ने लोकसभा चुनाव जीतकर अपनी नई जिम्मेदारियों का कार्यभार संभाला है।
उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड
बेलागंज सीट पर जेएसपी के उम्मीदवार मोहम्मद अमजद, 55, के खिलाफ 1995 से 2022 के बीच पांच एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें हत्या के प्रयास, सार्वजनिक शांति भंग करने और आपराधिक धमकी जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। अमजद ने पहले भी 2005 और 2010 के विधानसभा चुनाव में भाग लिया, लेकिन सफल नहीं हो पाए। अब वह आरजेडी के विश्वनाथ कुमार सिंह और जेडीयू की मनोहर देवी के खिलाफ तिकोनामुकाबला करेंगे। हालांकि, चुनावी रणनीति के चलते अमजद को पार्टी द्वारा उम्मीदवार के रूप में चुना गया, जबकि पहले मोहम्मद खिलाफत हुसैन को प्रत्याशी घोषित किया गया था।
इसी प्रकार, इमामगंज में जितेंद्र पासवान पर भी दो आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से एक धोखाधड़ी का मामला है। वे हिंदुस्तान आवामी मोर्चा की दीपा मांझी के खिलाफ मैदान में उतरेंगे, जो पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझी की बहू हैं। रामगढ़ में जेएसपी के सुशील कुमार सिंह का भी आपराधिक रिकॉर्ड है, जिसमें 2019 में हत्या के प्रयास और सार्वजनिक शांति भंग का मामला शामिल है।
प्रशांत किशोर की चुनौती
प्रशांत किशोर, जिन्होंने अपनी पार्टी को एक "वैकल्पिक राजनीति" के रूप में प्रस्तुत किया है, अब इस स्थिति में हैं कि उन्हें खुद को इस विवाद से बाहर निकालने के लिए प्रभावी रणनीति अपनानी होगी। पार्टी ने इन मामलों को "राजनीतिक रूप से प्रेरित" बताते हुए सफाई दी है। जेएसपी के प्रवक्ता सदफ इकबाल का कहना है कि जिन उम्मीदवारों को चुना गया है, उनके खिलाफ गंभीर आरोप नहीं हैं और पार्टी ने उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि की जांच की है।
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दागी उम्मीदवारों का चयन किशोर के "स्वच्छ छवि" के दावे को कमजोर करता है। प्रशांत किशोर के लिए यह न केवल अपनी पार्टी की छवि को बनाए रखने की चुनौती है, बल्कि यह भी साबित करना है कि उनकी राजनीति में वास्तविक बदलाव लाने की क्षमता है।
बिहार की राजनीतिक तस्वीर
इस विवाद ने बिहार की राजनीतिक तस्वीर को फिर से उकेर दिया है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को एक नयी सोच और दृष्टिकोण के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन अब उनके उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि ने उनकी वैकल्पिक राजनीति के दावे को कमजोर किया है। उपचुनावों में उनकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे इन विवादों को कैसे संभालते हैं और अपनी पहचान को कैसे पुनः स्थापित करते हैं।
प्रशांत किशोर के लिए यह महत्वपूर्ण समय है, क्योंकि बिहार की राजनीति में उनकी भूमिका और प्रभाव दोनों ही सवालों के घेरे में हैं। यदि वह अपने उम्मीदवारों के विवादास्पद पृष्ठभूमि के बावजूद एक सकारात्मक छवि बनाने में सफल होते हैं, तो शायद वह बिहार में एक नई राजनीतिक दिशा की ओर बढ़ सकें। लेकिन यह भी आवश्यक है कि वे उन चुनौतियों का सामना करें जो उनके रास्ते में आ रही हैं और साबित करें कि उनका दावा वास्तव में सच है।
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