पाकिस्तान चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी की जीत की दुआएं करता रहा। अब वह ठंडे मन से कह रहा है कि मोदी तीसरी बार जीतेंगे, इसमें कोई संदेह नहीं था।
पाकिस्तान दुनियाभर में भारत की बढ़ते प्रभाव से हैरान है और खुद को अलग-थलग पा रहा है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में नहीं बुलाया। बाकी कई पड़ोसी देशों के प्रमुख मोदी की तीसरी ताजपोशी में आए। शायद अभी भी एनडीए की पाकिस्तान की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। पाकिस्तान भी तो कई मुद्दों पर अड़ा हुआ है। एनडीए की जीत पर एक औपचारिक बधाई तक नहीं दी। सच तो यह है कि पाकिस्तान चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी की जीत की दुआएं करता रहा। पाकिस्तान अब ठंडे मन से कह रहा है कि मोदी तीसरी बार जीतेंगे, इसमें कोई संदेह नहीं था, लेकिन उन्हें वह भारी जीत नहीं मिली जिसकी उन्हें उम्मीद थी। साथ में यह भी कह रहा है कि ‘मोदी की गारंटी’ के घमंडी नारा था, जिसने ही मोदी को दो-तिहाई बहुमत दिलाने नहीं दिया।
पाकिस्तान भी चुनाव परिणाम में बीजेपी के बहुमत से दूर रहने का वही कारण गिना रहा है, जो इंडिया गठबंधन गिनाता आ रहा था। डॉन में छपे के एक लेख में कहा गया है कि उच्च बेरोजगारी दर, बढ़ती मुद्रास्फीति और सत्ताधारी लोगों के अहंकार बीजेपी की चुनावी विफलता के प्रमुख वजह रहे। बकौल पाकिस्तान भारतीय विपक्ष ने मोदी को एक फासीवादी नेता के रूप में पेश किया। उनके मुस्लिम विरोधी बयानों ने न केवल मुस्लिम मतदाताओं को डरा दिया, जिन्हें उनकी पार्टी के लोग ‘घुसपैठिए’ कह रहे थे, बल्कि भारत के धर्मनिरपेक्ष और बहुलवादी लोकाचार से जुड़े उदार भारतीयों को भी सावधान कर दिया। अयोध्या में राम मंदिर वाली सीट हारना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
पाकिस्तान यह भी मानता है कि 240 सीटों के साथ, भाजपा लोकसभा में न केवल सबसे बड़ी पार्टी है, बल्कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से बहुत आगे भी है, जिसने 99 सीटें हासिल की हैं। यह मोदी सरकार के कई उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण हुआ है। मोदी के कार्यकाल में भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया, जबकि 10 साल पहले जब उन्होंने सत्ता संभाली थी, तब भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। जीडीपी में 162 प्रतिशत की वृद्धि हुईं है और औसत आय भी 135 प्रतिशत बढ़ी है। खास कर विदेशी मुद्रा भंडार में 113 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो इस समय 620 बिलियन डॉलर के आस पास है। यही नहीं इंटरनेट के उपयोग में उछाल आया है, और डिजिटल लेन-देन 358 प्रतिशत बढ़कर 95 बिलियन डॉलर हो गया है। मोदी ने भारत को विश्व का प्रोडक्शन हब बनाने के लिए कई पहल शुरू की । 50,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग (2014 से 60 प्रतिशत की वृद्धि) और 31,000 किलोमीटर रेल नेटवर्क को जोड़ा, साथ ही बुलेट ट्रेन शुरू करने की योजना भी बनाई। गरीबों के लिए 30 मिलियन घर भी बनाए गए हैं।
पाकिस्तान ने भारत द्वारा अपनी रक्षा जरूरतों के लिए अधिक खर्च करने पर भी टिप्पणी की है। डॉन के एक लेख में स्टॉकहोम स्थित संगठन सिपरी का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारत ने 2023 में अपनी सेना पर 83.6 बिलियन डॉलर खर्च किए, जो 2009 के बाद से सबसे अधिक है, और 2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद से यह 44 प्रतिशत की वृद्धि है। भारत अब दुनिया में चौथा सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश बन गया है। लेकिन खास बात यह है कि अधिकांश धनराशि (75 प्रतिशत) घरेलू रूप से उत्पादित उपकरणों को आवंटित की गई, जिससे स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा मिला है। इसमें स्वनिर्मित विमानवाहक पोत, विक्रांत भी शामिल है। पकिस्तान ने भारत द्वारा चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कराने की भी तारीफ की है।
डॉन के लेख में यह भी कहा गया है कि मोदी तीसरे कार्यकाल में भारत को 2047 तक एक विकसित देश बनने की राह पर ले आएंगे। यद्यपि वे भारत की ‘हिंदू प्रथम’ राष्ट्र के रूप में स्थिति को आगे भी मजबूत करेंगे, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था पर उनका ध्यान कम नहीं होगा। उनकी कोशिश होगी कि अगले कुछ वर्षों में भारत 6.7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाए और जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था हो जाए। मोदी भारत को जलवायु के अनुकूल भी बनाना चाहते हैं। उनकी योजना देश को डिजिटल शासन की ओर ले जाने की भी है।
मोदी के तीसरे कार्यकाल में विदेश नीति उसी मोड में जारी रहने की संभावना है। मोदी अमेरिका (रणनीतिक साझेदार), रूस (स्थायी मित्र) और चीन (प्रतिस्पर्धी) के साथ अपने संबंधों में संतुलन बनाए रखेंगे और खाड़ी के शेखों के साथ विशेष संबंध भी मजबूत करेंगे। वह अपने देश की छवि को वैश्विक दक्षिण के नेता के रूप में पेश करना जारी रख सकते हैं।
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पाकिस्तान ने मोदी की इस बात की आलोचना की है कि चुनाव प्रचार के दौरान, वह पाकिस्तान के प्रति पूरी तरह से शत्रुतापूर्ण भाव रखने वाले नेता थे। मोदी के साथियों ने भी ‘घुस के मारेंगे’ की मानसिकता दिखाई थी , जो क्षेत्रीय शांति के लिए खतरनाक है। आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान को निशाना बनाने की बात भी खोखली बयानबाजी है, क्योंकि किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब मिलने की संभावना है, जैसा कि फरवरी 2019 में हुआ था। भारत का पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद करने का आरोप भी तथ्यों से मेल नहीं खाता। आतंकवाद से भारत नहीं बल्कि पाकिस्तान पीड़ित है, जहां भारतीय गुर्गों ने 2023 के दौरान 20 पाकिस्तानियों को मारने में कामयाबी हासिल की।
उन्होंने कनाडा और अमेरिका में भी ऐसा ही किया था। ऐसा लगता है कि अपने तीसरे कार्यकाल में मोदी पाकिस्तान के प्रति कोई सकारात्मक पहल नहीं कर सकते, भले ही वह अपने आर्थिक दृष्टिकोण और लक्ष्यों पर अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए एक स्थिर पश्चिमी सीमा चाहते हों। डॉन के लेख में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान की सरकार को मोदी सरकार द्वारा सकारात्मक पहल किए जाने तक इंतजार करना चाहिए। अगर वह अपना विचार बदलते हैं और सीमित सहयोग के लिए पाकिस्तान से संपर्क करते हैं, तो पाकिस्तान को सकारात्मक जवाब देना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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