सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "हमें खुद को रोकने की स्थिति में नहीं रहना चाहिए और यह केवल समस्या को बढ़ा रहा है। क्योंकि हर कोई जानता है कि पेपर लीक हुआ है...।"
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने दोबारा परीक्षा कराई जाए या नहीं, इस पर सुनवाई शुरू की। (फोटो- सोशल मीडिया)
नीट यूजी -2024 (NEET UG 2024: 2024) को लेकर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूछा कि क्या पेपर लीक होने की धोखाधड़ी का फायदा पाने वाले छात्रों तथा अपनी मेहनत और ईमानदारी से परीक्षा देने वाले बेदाग छात्रों में अंतर करना संभव है। अगर ऐसा हो सके तो यह तय करना आसान होगा कि दोबारा परीक्षा कराई जाए या नहीं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि दोबारा परीक्षा होनी चाहिए या नहीं, यह तय मापदंडों पर आधारित है। अदालत ने कहा कि उसे यह देखना होगा कि कथित उल्लंघन सिस्टम लेवल पर हुआ या नहीं, क्या उल्लंघन ऐसी प्रकृति का है जो पूरी परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता को प्रभावित करता है और क्या धोखाधड़ी के लाभार्थियों को बेदाग छात्रों से अलग करना संभव है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, “ऐसी स्थिति में जहां पवित्रता का उल्लंघन पूरी परीक्षा को प्रभावित करता है और अगर अलगाव संभव नहीं है तो दोबारा परीक्षा की जरूरत है। लेकिन अगर लाभार्थियों की पहचान की जा सकती है तो इतने बड़े पैमाने पर छात्रों को शामिल करने वाली दोबारा परीक्षा की जरूरत नहीं होगी।" इस पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को तय की और कहा कि वह सरकार, सीबीआई और एनटीए द्वारा उसके सवालों पर जवाब दाखिल करने के बाद गुण-दोष के आधार पर फैसला करेगा। एनटीए नीट यूजी परीक्षा आयोजित करता है और सीबीआई कथित लीक से जुड़े मामलों की जांच कर रही है।
अदालत ने कहा, "हमारा विचार है कि गुण-दोष के आधार पर आदेश को स्थगित करना होगा। एनटीए अदालत के समक्ष तीन क्षेत्रों में पूरी तरह से स्पष्टीकरण दे- लीक की प्रकृति, लीक होने वाले स्थान और लीक और परीक्षा के आयोजन के बीच का समय अंतराल।"
अदालत ने एनटीए से यह साफ करने को कहा कि “पहली बार लीक कब हुआ, किस तरह से प्रश्नपत्र लीक हुए और किस तरह से उनका प्रसार हुआ” और “लीक होने और 5 मई को परीक्षा के बीच का समय कितना था।” शीर्ष अदालत ने सीबीआई से सोमवार 8 जुलाई तक की जांच की स्थिति और अब तक सामने आई सामग्री पर एक रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा।
अदालत ने एनटीए से कहा कि वह लीक के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए उठाए गए कदमों, लीक होने वाले केंद्रों/शहरों की पहचान करने के लिए उठाए गए कदमों, लीक के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए अपनाए गए तौर-तरीकों और लीक को कैसे फैलाया गया, के बारे में अदालत को सूचित करे।
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