मराठा आरक्षण आंदोलन: मनोज जरांगे की चेतावनी से देवेंद्र फडणवीस की चिंता बढ़ी, पाटिल ने दी विधानसभा चुनाव में उतरने की धमकी

पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद भागवत कराड ने इसका विरोध करते हुए मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण नहीं दिए जाने की वकालत की है।

मराठा आरक्षण आंदोलन: मनोज जरांगे की चेतावनी से देवेंद्र फडणवीस की चिंता बढ़ी, पाटिल ने दी विधानसभा चुनाव में उतरने की धमकी

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और मराठा आरक्षण आंदोलनकारी नेता मनोज जरांगे पाटिल। (फोटो- सोशल मीडिया)

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने राज्य सरकार को 13 अगस्त की डेडलाइन दी है, दूसरी तरफ पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद भागवत कराड ने इसका विरोध करते हुए मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण नहीं दिए जाने की वकालत की है। आंदोलन का नेतृत्व कर रह मनोज जारांगे पाटि के निशाने पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मौजूदा डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस हैं।

ओबीसी कोटा के तहत मराठाओं के ल‍िए आरक्षण की मांग कर रहे पाट‍िल ने हाल ही में महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना-एनसीपी की महायुति सरकार से पूछा था कि इस मुद्दे पर उसका क्या रुख है? पाटिल ने साफ कर दिया है कि वे आरक्षण को लेकर अगले कुछ दिनों में फिर से राज्य के कई इलाकों में मराठा समुदाय के बीच पहुंचने जा रहे हैं। इतन ही नही उन्‍होंने चुनाव में उतरने की भी चेतावनी दी है। महाराष्ट्र में ओबीसी की आबादी मराठाओं से करीब 10 फीसदी ज्‍यादा बताई जाती है।

राज्‍य में अगले कुछ महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी सांसद कराड ने मराठा आरक्षण पर बयान तो दे दिया है, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में इस तरह का बयान विधानसभा चुनाव में क्या बीजेपी के लिए मुश्किलें भी पैदा कर सकता है?

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के मुद्दे को 2014 में तब हवा मिली थी जब तत्कालीन पृथ्वीराज चव्हाण सरकार विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठों के लिए 16% कोटा के लिए अध्यादेश लेकर आई थी। हालांकि इस पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा-शिवसेना महाराष्ट्र की सत्ता में आई। 2016 में अहमदनगर के कोपार्डी इलाके में एक मराठा लड़की के बलात्कार और हत्या के विरोध में राज्य में बड़े पैमाने पर मराठा समुदाय लामबंद हो गया। उस दौरान ही मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग फिर से जिंदा हो गयी।

2018 में देवेंद्र फडणवीस सरकार सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम लेकर आई, जिसमें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 16% मराठा आरक्षण दिया गया। फडणवीस सरकार ने यह फैसला एम जी गायकवाड़ आयोग के एक सैंपल सर्वे के आधार पर लिया। लेकिन 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50% को पार करने के कारण मराठा कोटा को रद्द कर दिया।

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