Action on Anil Vij: हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज पर BJP ने क्यों लिया एक्शन? बगावत की आहट या अनुशासन की सख्ती?

पार्टी ने अपने तीखे बयानों से मुश्किलें खड़ी करने वाले अनिल विज को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिनों में जवाब मांगा है।

Action on Anil Vij:  हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज पर BJP ने क्यों लिया एक्शन? बगावत की आहट या अनुशासन की सख्ती?

हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज। (फोटो-सोशल मीडिया)

हरियाणा की राजनीति में हलचल मचाने वाले मंत्री अनिल विज को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली की ओर से जारी इस नोटिस में कहा गया है कि विज के हालिया बयान पार्टी की विचारधारा और अनुशासन के खिलाफ हैं। पार्टी ने उनसे तीन दिनों के भीतर इस पर स्पष्टीकरण मांगा है।

पार्टी और सरकार से टकराव क्यों?

अनिल विज अपनी बेबाक छवि के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हाल के दिनों में न केवल मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी बल्कि प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली पर भी तीखा हमला किया था। विज ने आरोप लगाया कि बड़ौली पर गैंगरेप के गंभीर आरोप लगे हैं, इसलिए उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

इसके अलावा, विज ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा था कि वह जनता से कटे हुए हैं और जमीनी हकीकत से दूर हैं। उन्होंने दावा किया कि सरकार और पार्टी के भीतर उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है और विधानसभा चुनाव में उन्हें हराने की भी कोशिश की गई थी।

क्या है कारण बताओ नोटिस का आधार?

बीजेपी के नोटिस में कहा गया है कि:

  • विज ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और मुख्यमंत्री के खिलाफ बयान दिए हैं।
  • यह बयान ऐसे समय में आए जब पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है।
  • उनकी टिप्पणियों से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है।

विज ने बड़ौली से दो बार मांगा इस्तीफा

  • पहला बयान (18 जनवरी 2025): बड़ौली के खिलाफ हिमाचल प्रदेश में दर्ज गैंगरेप की एफआईआर सामने आने के बाद विज ने कहा था कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक बड़ौली को पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ देना चाहिए।
  • दूसरा बयान (2 फरवरी 2025): सोनीपत के गोहाना में विज ने कहा कि जिस व्यक्ति पर धारा 376डी (गैंगरेप) के आरोप हों, वह महिलाओं की बैठक कैसे ले सकता है? उन्होंने बड़ौली की तुलना लालकृष्ण आडवाणी से करते हुए कहा कि आडवाणी पर भी आरोप लगे थे, उन्होंने पद छोड़ दिया था, तो बड़ौली क्यों नहीं?

सीएम पर भी कसा तंज

विज ने 31 जनवरी को अंबाला में कहा कि मुख्यमंत्री जब से सत्ता में आए हैं, तब से 'उड़नखटोले' (हेलिकॉप्टर) पर ही हैं और जनता की परेशानियों से अनजान हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव में उन्हें हराने के लिए पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता ने साजिश रची और उन पर हमला तक करवाया।

बीजेपी की रणनीति क्या है?

बीजेपी नेतृत्व के लिए अनिल विज का यह रवैया चिंता का विषय है। पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में गुटबाजी को रोकना चाहती है। विज का लगातार पार्टी नेतृत्व पर हमला करना, उनके अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में आ गया।

अनिल विज का रुख

विज ने साफ कर दिया है कि उन्हें अपने मंत्री पद की कोई परवाह नहीं है। उन्होंने कहा, "अगर वे (बीजेपी नेतृत्व) इसे छीनना चाहते हैं, तो छीन सकते हैं। मुझे इसकी कोई परवाह नहीं। मैं जनता के हितों के लिए लड़ता रहूंगा।" विज ने यह भी आरोप लगाया कि 100 दिनों से वह पार्टी नेतृत्व से जवाब मांग रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

अनिल विज की पुरानी बगावती छवि

अनिल विज पहले भी कई बार पार्टी लाइन से हटकर बयान दे चुके हैं। मनोहर लाल खट्टर की सरकार में भी वे स्वतंत्र रूप से अपनी राय रखते रहे हैं। कृषि कानूनों के दौरान भी उन्होंने अपनी अलग राय जाहिर की थी, हालांकि बाद में पार्टी लाइन पर आ गए थे।

समर्थकों की प्रतिक्रिया

अनिल विज के समर्थक उन्हें एक 'साफ छवि' वाला नेता मानते हैं, जो बिना किसी डर के अपनी बात कहते हैं। उनके नोटिस मिलने के बाद अंबाला और उनके प्रभाव वाले इलाकों में उनके समर्थकों में नाराजगी देखी गई। सोशल मीडिया पर भी उनके पक्ष में कई लोग खुलकर सामने आए हैं, जिनका मानना है कि विज को जबरन चुप कराने की कोशिश की जा रही है।

राजनीतिक विश्लेषण: बीजेपी बनाम अनिल विज

अनिल विज बीजेपी के सबसे वरिष्ठ और मुखर नेताओं में से एक हैं। उनके बयानों ने बीजेपी को असहज स्थिति में डाल दिया है।

  1. गुटबाजी और सत्ता संघर्ष: हरियाणा बीजेपी में नायब सिंह सैनी, अनिल विज और मनोहर लाल खट्टर के गुटों के बीच टकराव पहले से ही चल रहा है। विज के खिलाफ नोटिस इसी का परिणाम है।
  2. लोकसभा चुनाव की रणनीति: पार्टी चाहती है कि लोकसभा चुनाव से पहले किसी भी तरह की असहमति को खत्म किया जाए, ताकि बीजेपी को कोई नुकसान न हो।
  3. अनिल विज का विद्रोही तेवर: अगर विज को पार्टी से बाहर किया जाता है, तो यह बीजेपी के लिए नुकसानदेह हो सकता है, क्योंकि वह अंबाला और आसपास के इलाकों में मजबूत पकड़ रखते हैं।

अब यह देखना होगा कि अनिल विज कारण बताओ नोटिस का क्या जवाब देते हैं। अगर पार्टी उनकी सफाई से संतुष्ट नहीं हुई, तो उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। वहीं, विज का विद्रोही रुख यह संकेत दे रहा है कि अगर उन्हें पार्टी से बाहर किया गया तो वह अपनी नई राजनीतिक राह बना सकते हैं। हरियाणा की राजनीति में यह प्रकरण आने वाले दिनों में और गर्मा सकता है।

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