Maharashtra: महायुति में सियासी तूफान, PA-OSD नियुक्तियों पर उथल-पुथल, क्या फडणवीस का बड़ा दांव है यह?

शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी के नेताओं ने इसे गठबंधन सहयोगियों की शक्तियों को सीमित करने की साजिश बताया है। वहीं, शिंदे और अजित पवार ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।

Maharashtra: महायुति में सियासी तूफान, PA-OSD नियुक्तियों पर उथल-पुथल, क्या फडणवीस का बड़ा दांव है यह?

राजनीतिक गलियारों में इस फैसले के दूरगामी असर की चर्चा हो रही है। (Photo- Social Media)

महाराष्ट्र की महायुति सरकार में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को मंत्रियों के पीए (निजी सचिव) और ओएसडी (विशेष कार्य अधिकारी) की नियुक्तियों को मंजूरी देने का ऐलान किया, लेकिन 16 नामों को खारिज कर दिया। इनमें भ्रष्टाचार के आरोपों, संदिग्ध ट्रैक रिकॉर्ड और ‘फिक्सर’ की छवि वाले लोगों को बाहर रखा गया है। इस फैसले से सरकार के भीतर असंतोष बढ़ गया है। शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी के नेताओं ने इसे गठबंधन सहयोगियों की शक्तियों को सीमित करने की साजिश बताया है। वहीं, शिंदे और अजित पवार ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।

मंत्रियों के पीए-ओएसडी नियुक्तियों पर विवाद
महाराष्ट्र की महायुति सरकार में अब एक नया मोर्चा खुल गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को घोषणा की कि उन्होंने तीन महीने के इंतजार के बाद मंत्रियों के लिए पीए (निजी सचिव) और ओएसडी (विशेष कार्य अधिकारी) की नियुक्तियों को मंजूरी दे दी है। कुल 125 प्रस्तावित नामों में से 109 को हरी झंडी मिली, जबकि 16 नामों को ठुकरा दिया गया। इन नामों को खारिज करने की वजह भ्रष्टाचार के आरोप, संदिग्ध ट्रैक रिकॉर्ड और ‘फिक्सर’ की छवि बताई गई है।

फडणवीस के फैसले से नाराजगी
फडणवीस ने साफ कर दिया कि वह किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को नियुक्ति की अनुमति नहीं देंगे, भले ही इससे किसी को ठेस पहुंचे। हालांकि, विपक्ष और सहयोगी दलों में इस फैसले से असंतोष बढ़ गया है। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने दावा किया कि जिन नामों को खारिज किया गया, वे सभी गैर-बीजेपी मंत्रियों द्वारा सुझाए गए थे। एनसीपी नेता माणिकराव कोकाटे ने तंज कसते हुए कहा कि अब तो मंत्रियों को अपने ही स्टाफ की नियुक्ति करने की भी छूट नहीं दी जा रही है।

सरकार में संतुलन को लेकर सवाल
महायुति सरकार में पहले से ही सत्ता संतुलन को लेकर खींचतान चल रही है। मुख्यमंत्री द्वारा कुछ नामों को खारिज करने से यह बहस छिड़ गई है कि क्या गठबंधन सरकार में बीजेपी अपने सहयोगियों की शक्तियों को सीमित कर रही है। शिवसेना के एक मंत्री ने कहा कि गठबंधन में सहयोगियों को उनके अधिकार देने जरूरी हैं। अगर उनकी पसंद के कर्मचारियों को ही मंजूरी नहीं दी जाएगी, तो यह उनकी स्वायत्तता को कमजोर करेगा।

शिंदे और अजित पवार की चुप्पी
इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अब तक चुप्पी साध रखी है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस फैसले के दूरगामी असर की चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि फडणवीस के इस कदम से शिंदे और अजित पवार के लिए सरकार में अपनी पकड़ बनाए रखना और मुश्किल हो सकता है।

भ्रष्टाचार पर सख्ती या सहयोगियों पर शिकंजा?
फडणवीस ने भ्रष्टाचार पर सख्ती के नाम पर यह फैसला लिया है, लेकिन यह भी साफ है कि इससे सरकार के भीतर की असहमति और बढ़ सकती है। गठबंधन के सहयोगियों को भरोसे में लिए बिना लिए गए इस तरह के फैसले महायुति की स्थिरता पर सवाल खड़े कर सकते हैं। अब देखना होगा कि इस मुद्दे पर शिंदे और अजित पवार की चुप्पी कब टूटती है और वे किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं।

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