Delhi Election Results 2025: दिल्ली में बीजेपी को कैसे मिली इतनी बड़ी सफलता, जानिए वे 5 मुख्य काम जो बने जीत की वजह

दिल्ली चुनाव में भाजपा की जीत कई कारणों से तय हुई, जिनमें भाजपा की चुनावी रणनीति, आम आदमी पार्टी की आंतरिक कमजोरियां, और दिल्ली के मतदाताओं की बदलती प्राथमिकताएं शामिल हैं।

Delhi Election Results 2025: दिल्ली में बीजेपी को कैसे मिली इतनी बड़ी सफलता, जानिए वे 5 मुख्य काम जो बने जीत की वजह

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद पार्टी कार्यालय में पीएम का स्वागत। (फोटो- https://x.com/BJP4Delhi)

दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम ने एक बार फिर भारतीय राजनीति को नया मोड़ दिया। भाजपा ने आम आदमी पार्टी (AAP) को हराकर 27 साल बाद केंद्र शासित दिल्ली को फिर से अपने कब्जे में ले लिया। यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में भाजपा के द्वारा किए गए संघर्ष और समर्पण का नतीजा थी। भाजपा ने दिल्ली में सत्ता का "डबल इंजन" मंत्र अपनाया और आम आदमी पार्टी की कमजोरियों का फायदा उठाया।

1. मध्यम वर्ग पर पार्टी का ध्यान

आम आदमी पार्टी का जन्म मुख्य रूप से दिल्ली के मध्यम वर्ग की निराशा से हुआ था, लेकिन समय के साथ यह वर्ग महसूस करने लगा कि पार्टी केवल गरीबों के लिए काम कर रही है। 200 यूनिट मुफ्त बिजली, मुफ्त बस यात्रा जैसी योजनाएं सिर्फ गरीबों के लिए थीं। हालांकि, भाजपा ने इस बीच मध्यम वर्ग के मुद्दों पर जोर दिया। भाजपा ने आरडब्ल्यूए (Resident Welfare Associations) बैठकों में शामिल होकर इस वर्ग के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और केंद्र सरकार द्वारा किए गए कर कटौती से मध्यम वर्ग को अपने पक्ष में करने की कोशिश की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली की 67% आबादी मध्यम वर्ग की है, और भाजपा ने इस वर्ग के बीच अच्छी पैठ बनाई।

2. वादा – कोई योजना बंद नहीं होगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव से पहले यह स्पष्ट किया कि भाजपा सत्ता में आने पर आम आदमी पार्टी की किसी भी योजना को बंद नहीं करेगी। इसे लेकर भाजपा ने एक मजबूत संदेश दिया, और इसके विपरीत, आम आदमी पार्टी का यह दावा खारिज हो गया कि भाजपा सत्ता में आई तो गरीबों को मिल रहे लाभ खत्म हो जाएंगे। भाजपा का यह वादा 'आप-प्लस' के रूप में सामने आया, जो कि कल्याण योजनाओं के साथ-साथ हिंदू अस्मिता और राष्ट्रीय गौरव को भी शामिल करता है। यह बात दिल्ली के मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि वे जानना चाहते थे कि सत्ता में आने पर कौन से सामाजिक कल्याण कार्यक्रम जारी रहेंगे।

3. सड़कों और सीवरों की खराब स्थिति

दिल्ली की सड़कों और सीवरों की जर्जर हालत ने आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता को नुकसान पहुँचाया। गड्ढों वाली सड़कों, ओवरफ्लो होती नालियों, और गंदगी के कारण दिल्लीवासियों में नाराजगी बढ़ी थी। चुनाव से पहले एक वरिष्ठ आप नेता ने स्वीकार किया था कि पार्टी सड़कों और कचरे के प्रबंधन में सुधार करने में नाकाम रही। इसे लेकर भाजपा ने आप पर निशाना साधा और यह प्रचारित किया कि दिल्ली सरकार ने इन बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया। इससे दिल्ली के मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग के इलाकों में पार्टी के खिलाफ असंतोष पैदा हुआ, जहां बुनियादी ढांचा एक बड़ी चिंता बनकर उभरा।

4. एलजी-आप के बीच लगातार टकराव

दिल्ली में आम आदमी पार्टी और उपराज्यपाल (एलजी) के बीच जारी टकराव ने भी चुनाव परिणाम पर प्रभाव डाला। आप पार्टी का आरोप था कि एलजी ने कई योजनाओं को रोका और उसके कामकाज में हस्तक्षेप किया। जबकि भाजपा ने अपने "डबल इंजन" सरकार के वादे के तहत यह कहा कि केंद्र और राज्य दोनों स्तर पर एक ही पार्टी की सरकार होने से दिल्ली के विकास में कोई रुकावट नहीं आएगी। दिल्लीवासियों ने यह समझा कि भाजपा सरकार केंद्र में और राज्य सरकार में मिलकर काम कर सकती है, जो उनके लिए विकास के लिहाज से बेहतर होगा।

5. AAP के बारे में सत्ता विरोधी भावना

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा। 2012 में बनी आम आदमी पार्टी ने 2013 में दिल्ली में अपनी पहचान बनाई और 2015 से लगातार सत्ता में रही। हालांकि, पार्टी के अंदर और बाहर दोनों ही स्तर पर बढ़ती असंतोष और आंतरिक संघर्ष ने उसके चुनावी अभियान को प्रभावित किया। कुछ विधायकों की अलोकप्रियता, जो जनता के बीच अपने कामकाज को लेकर नकारात्मक रूप से देखे जाते थे, ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दीं। इस बीच भाजपा ने इन्हीं मुद्दों को उठाकर चुनाव प्रचार में फायदा उठाया।

दिल्ली चुनाव में भाजपा की जीत कई कारणों से तय हुई, जिनमें भाजपा की चुनावी रणनीति, आम आदमी पार्टी की आंतरिक कमजोरियां, और दिल्ली के मतदाताओं की बदलती प्राथमिकताएं शामिल हैं। भाजपा ने अपने "डबल इंजन" के विकास वादे को लागू किया, जिससे दिल्ली में विकास की रफ्तार को तेज करने का वादा किया। वहीं, आम आदमी पार्टी अपनी कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद सत्ता विरोधी लहर और नागरिक सुविधाओं की खराब स्थिति के कारण नाकाम रही। भाजपा ने इन सभी मुद्दों को बढ़ावा दिया और अपनी जीत सुनिश्चित की।

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