राहुल गांधी की वायनाड यात्रा से भी इस बात को बल मिल रहा है कि वह वहां की जनता से मिलकर अपनी बात रखेंगे। उनकी यात्रा को देखते हुए यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने 12 जून को प्रस्तावित राज्य विधानसभा तक विरोध मार्च स्थगित कर दिया है।
राहुल गांधी का फैसला प्रियंका गांधी के साथ ही कांग्रेस के लिए भी बड़ा असरकारी होगा। (फोटो- सोशल मीडिया)
कांग्रेस नेता राहुल गांधी 12 जून को केरल के अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड जाए रहे हैं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में वायनाड निर्वाचन क्षेत्र में बड़ी जीत हासिल करने के कुछ दिन बाद उनकी यह पहली यात्रा होगी। उन्होंने अपनी करीबी प्रतिद्वंद्वी और सीपीआई उम्मीदवार एनी राजा को 3,64,422 मतों के अंतर से हराया। गांधी वायनाड का दौरा ऐसे समय कर रहे हैं, जब अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह यह सीट छोड़ देंगे और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के पारंपरिक गढ़ रायबरेली का संसद में प्रतिनिधित्व करेंगे। इस यात्रा को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। अभी तक आम चर्चा यह रही है कि रायबरेली और वायनाड से जीत हासिल करने वाले राहुल गांधी रायबरेली सीट को बनाए रखेंगे और वायनाड से इस्तीफा दे देंगे। हालांकि पार्टी के अंदर इस बात पर भी मंथन चल रहा है कि राहुल वायनाड को बनाए रखें और रायबरेली सीट पर प्रियंका गांधी को उतारकर दोनों सीटों पर पार्टी का कब्जा बनाए रखें।
पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि वायनाड सीट छोड़ने से आशंका है कि वह दूसरे दल के पास जा सकती है, लेकिन रायबरेली सीट छोड़ी जाती है तो वहां पर जिस तरह से राहुल गांधी की भारी मतों से जीत हुई है, उसी तरह प्रियंका गांधी को भी जीत मिल सकती है। लिहाजा पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि वायनाड सीट पर राहुल गांधी अपना प्रतिनिधित्व बनाए रखें और रायबरेली सीट प्रियंका गांधी के लिए खाली कर दें। इस मुद्दे पर अंतिम फैसला राहुल गांधी और पार्टी को लेनी है।
इस बीच राहुल गांधी की वायनाड यात्रा से भी इस बात को बल मिल रहा है कि वह वहां की जनता से मिलकर अपनी बात रखेंगे। उनकी यात्रा को देखते हुए यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने 12 जून को प्रस्तावित राज्य विधानसभा तक विरोध मार्च स्थगित कर दिया है। आबकारी नीति विवाद को लेकर पिनराई विजयन सरकार पर आरोप लगने के तुरंत बाद विपक्षी मोर्चे ने पिछले महीने विरोध मार्च की घोषणा की थी। आरोप है कि राज्य की वामपंथी सरकार ने बार मालिकों के पक्ष में राज्य की आबकारी नीति में संशोधन करने की कोशिश की थी।
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