अगले कुछ महीनों में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस दौरान पार्टी को न केवल अपनी सरकार बचाने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी, बल्कि उन मुद्दों पर भी जनता का विरोध झेलना होगा, जिन मुद्दों पर वे लोकसभा के चुनाव में अपनी सीटें गंवाए हैं।
बीजेपी के सामने सबसे बड़ा संकट पार्टी के अंदर और बाहर के अंतर्विरोधों को खत्म करना है। (फोटो- सोशल मीडिया))
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बाद बन रहे सियासी हालात से बीजेपी काफी बेचैन है। राज्य में लोकसभा की कुल 10 सीटें हैं। पिछली बार 2019 के चुनाव में बीजेपी को सभी 10 सीटों पर सफलता मिली थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। पार्टी को सिर्फ 5 सीटों पर ही सफलता मिली। दूसरी तरफ पिछले चुनाव में जीरो पर रही कांग्रेस इस बार 5 सीट जीतने में सफल रही। एक बड़ी बात यह भी है कि राज्य की क्षेत्रीय पार्टियां इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) और जननायक जनता पार्टी (JJP) को बड़ा झटका लगा है। दोनों दल पहले सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाते थे, इस बार वे एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हो सके। सिर्फ हारे नहीं दोनों दलों के सभी उम्मीदवारों के जमानत भी जब्त हो गये।
नए हालात में राज्य में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई है। अगले अक्टूबर महीने में राज्य विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। यह एक ब़ड़ा सवाल है कि बीजेपी को ऐसा झटका क्यों लगा। वह 10 सीटों से 5 पर आ गई। सिर्फ सीट ही नहीं घटे, वोट शेयर भी कम हुए हैं। पार्टी का वोट शेयर 58 प्रतिशत से गिरकर 46 प्रतिशत पर आ गया, जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 28 से बढ़कर 43 प्रतिशत पर पहुंच गया। बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि यह चुनाव बीजेपी के लिए रेड अलर्ट है। साल 2014 से 24 तक जो लोग पार्टी के केंद्र और राज्य के शासन से बोर हो गए थे, उन्हें फिर से अपने पाले में लाने के लिए पार्टी को नए सिरे से अपने चुनावी अभियान को धार देनी होगी।
हरियाणा की 90 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी ने 2019 में 40 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस के हिस्से में 31 सीटें आई थीं। बीजेपी को सरकार बनाने के लिए जननायक जनता पार्टी (JJP) का सहयोग लेना पड़ा था। दो महीने पहले बीजेपी और जेजेपी का संबंध टूट गया था। इसके अलावा 3 निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। कांग्रेस लगातार राज्य में फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही है। विपक्ष को लगता है कि सरकार अल्पमत में आ गई है, लिहाजा विधानसभा भंग कर राज्य में नए विधानसभा चुनाव कराए जाने चाहिए।
बीजेपी के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदारी मुख्य वजहों में एक 2020 के किसान आंदोलन है। इस आंदोलन के दौरान किसानों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया गया था। इसमें 700 से अधिक किसानों की मौत हो गई थी। आरोप है कि उससे किसानों में काफी गुस्सा था, जो चुनावी नतीजों में साफ तौर पर दिखा। इसके अलावा कुछ महीने पहले महिला पहलवानों ने पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए बड़ा आंदोलन शुरू किया था। उसमें दूसरे दलों समेत तमाम संगठनों और आम नागरिकों का भी महिला पहलवानों को समर्थन मिला था। ये सभी बातें बीजेपी सरकार और पार्टी के खिलाफ गईं। लोगों का गुस्सा पार्टी के विरोध के रूप में सामने आया।
राज्य में मनोहर लाल खट्टर की बीजेपी सरकार ने 2020 में परिवार पहचान पत्र के नाम से एक विवादास्पद कार्यक्रम लाया था। आम जनता ने इसे प्राइवेसी के अधिकार के खिलाफ माना। विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ जोरदार मुहिम छेड़ी, जो अंतत: सरकार के लिए घातक साबित हुई। इसकी वजह से 2024 के लोकसभा चुनाव में सरकार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा।
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