BRICS summit: चीन-रूस संग भारत के रिश्तों में नया मोड़, क्या कहते हैं भविष्य के संकेत?

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ने भारत को चीन और रूस के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों में नए आयाम जोड़ने का अवसर दिया है, जिसमें क्षेत्रीय शांति, आपसी विश्वास और सहयोग की भावना को और मजबूत किया गया है।

BRICS summit: चीन-रूस संग भारत के रिश्तों में नया मोड़, क्या कहते हैं भविष्य के संकेत?

ब्रिक्स सम्मेलन से पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की प्रतिष्ठा दुनिया में तेजी से बढ़ी है। (फोटो- सोशल मीडिया)

हाल ही में रूस के कज़ान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ने भारत और चीन के संबंधों को एक सकारात्मक दिशा में मोड़ने का अवसर दिया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक को भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने एक अहम क़दम करार दिया। इस बैठक को दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के सुधार में एक नई शुरुआत माना जा रहा है।

कज़ान में हुई ब्रिक्स बैठक का महत्व
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को रूस के कज़ान में आयोजित किया गया, जिसमें भारत, चीन, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं ने भाग लिया। इस बैठक का उद्देश्य वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करना और सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना था। राजदूत अलीपोव ने इस सम्मेलन को "पूरी तरह से सफल" बताते हुए कहा कि ब्रिक्स मंच किसी विशेष देश के खिलाफ नहीं, बल्कि एक समावेशी मंच है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समूह किसी तरह का पश्चिम विरोधी गठजोड़ नहीं है बल्कि एक ऐसा मंच है जो सभी को जोड़ने का प्रयास करता है।

भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में नया मोड़
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई 50 मिनट की इस बैठक को दोनों देशों के संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। इस दौरान उन्होंने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त और पीछे हटने के मुद्दे पर सहमति जताई। इसके अलावा, दोनों नेताओं ने उन वार्ता तंत्रों को फिर से सक्रिय करने का भी निर्णय लिया जो पिछले कुछ वर्षों से निष्क्रिय थे।

सीमा विवाद सुलझाने की दिशा में बातचीत
बैठक के दौरान मोदी ने चीन को यह संदेश दिया कि दोनों देशों को सीमा विवाद और मतभेदों को इस तरह से संभालना चाहिए कि सीमा पर शांति और सौहार्द बना रहे। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत-चीन संबंध आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता पर आधारित होने चाहिए। साथ ही, सीमा पर स्थायी शांति बनाए रखने के लिए विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता तंत्र को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

रूस की भूमिका और दृष्टिकोण
रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने बताया कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई इस बैठक में रूस की कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी। हालांकि, रूस ने इस वार्ता का स्वागत किया है और इसे भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक विकास का संकेत माना है। राजदूत अलीपोव ने कहा कि रूस इस क्षेत्र में स्थिरता और शांति के लिए दोनों देशों के बीच संवाद को आवश्यक मानता है।

भारत का संवाद और कूटनीति के प्रति रुख
शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत हमेशा युद्ध की बजाय संवाद और कूटनीति को महत्व देता है। उनका यह बयान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिरता और शांति की नीति को दर्शाता है। ब्रिक्स के प्रमुख परिणामों पर भी मोदी ने रोशनी डाली, जिसमें भारत ने आर्थिक विकास और क्षेत्रीय स्थिरता पर बल दिया।

वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका
हाल ही में मोदी ने रूस और यूक्रेन दोनों देशों का दौरा किया था, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की संतुलित और निष्पक्ष नीति को प्रदर्शित करता है। एक ओर रूस के साथ भारत के लंबे समय से मजबूत संबंध हैं, वहीं यूक्रेन के प्रति भी भारत ने समर्थन का हाथ बढ़ाया है। यह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन भारत के लिए चीन और रूस के साथ अपने संबंधों को स्थिरता और विश्वास के साथ नई दिशा देने का अवसर साबित हुआ है।

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