दिल्ली में हार के बाद AAP के लिए पंजाब सबसे अहम राज्य बन गया है। जहां एक तरफ भगवंत मान के लिए अधिक स्वतंत्रता का मौका बन सकता है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली का बढ़ता हस्तक्षेप पार्टी के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।
पंजाब के सीएम और आम आदमी पार्टी के नेता भगवंत मान। (फोटो- सोशल मीडिया)
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) को मिली करारी हार के बाद पंजाब की राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस हार से भगवंत मान को अप्रत्याशित रूप से फायदा हो सकता है, क्योंकि अब AAP नेतृत्व पंजाब पर अधिक निर्भर रहेगा।
कैसे मजबूत होंगे भगवंत मान?राजनीतिक विश्लेषक बलजीत बल्ली का कहना है कि दिल्ली की हार के बाद AAP के संसाधनों की निर्भरता पंजाब सरकार पर और बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा, "अब पार्टी हाईकमान का रुतबा पहले जैसा नहीं रहेगा। दिल्ली में हार के बाद भगवंत मान अधिक स्वतंत्र फैसले ले सकते हैं।"
क्या दिल्ली का हस्तक्षेप बढ़ेगा?वहीं, वरिष्ठ पत्रकार जसपाल सिद्धू का कहना है कि दिल्ली के नेता अब पंजाब सरकार में अधिक हस्तक्षेप करने की कोशिश कर सकते हैं। उन्होंने कहा, "पहले ही 200 से अधिक दिल्ली के अधिकारी पंजाब में तैनात किए जा चुके हैं। अब दिल्ली की हार के बाद AAP नेतृत्व यहां और दखल देने की कोशिश करेगा।"
AAP ने हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के विवादित सहयोगी बिभव कुमार को पंजाब में मुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया है। इस फैसले की पंजाब में आलोचना हो रही है, क्योंकि इसे दिल्ली का गैरजरूरी हस्तक्षेप माना जा रहा है।
क्या पंजाब का मुख्यमंत्री बदलेगा?दिल्ली में हार के बाद AAP की बैठक हुई, जिसमें भगवंत मान ने भी भाग लिया। बैठक के बाद उनकी बॉडी लैंग्वेज में बदलाव देखा गया, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि पंजाब में मुख्यमंत्री बदला भी जा सकता है।
हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार हेमंत अत्री का मानना है कि केजरीवाल अगर खुद पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की कोशिश करते हैं, तो यह AAP के लिए आत्मघाती साबित होगा। उन्होंने कहा, "पंजाब बाहरी नेतृत्व को स्वीकार नहीं करता। अगर केजरीवाल ने ऐसी गलती की, तो पार्टी यहां खत्म हो सकती है।"
दिल्ली चुनाव के नतीजों का पंजाब पर असरविश्लेषकों का मानना है कि दिल्ली चुनाव में AAP को नुकसान पहुंचाने वाले मुद्दे अब पंजाब में भी उठ सकते हैं। मसलन, दिल्ली में महिलाओं को ₹1000 नहीं दिए गए, जबकि पंजाब में भी इस योजना पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। बीजेपी और कांग्रेस इसी मुद्दे पर आम आदमी पार्टी को घेर सकते हैं।
राजनीति के जानकारों के मुताबिक, अगर AAP पंजाब में दिल्ली जैसा विकास मॉडल लागू करने की कोशिश करती है, तो उसे विरोध का सामना करना पड़ सकता है। प्रोफेसर भूपिंदर बराड़ कहते हैं, "पंजाब में शिक्षा और स्वास्थ्य की ज़रूरतें अलग हैं। अगर भगवंत मान पंजाब की ज़मीनी सच्चाइयों के हिसाब से योजना नहीं बनाएंगे, तो 2027 में दोबारा सत्ता पाना मुश्किल होगा।"
क्या 2027 में दोहराएगी AAP पंजाब की जीत?AAP के लिए पंजाब अब सबसे महत्वपूर्ण राज्य बन गया है, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को अब तक किसी और राज्य में सरकार बनाने में सफलता नहीं मिली है। दिल्ली चुनाव में हार के बाद पार्टी अब पंजाब में नए प्रयोग कर सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भगवंत मान को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया गया, तो AAP को फायदा हो सकता है। लेकिन अगर दिल्ली का हस्तक्षेप बढ़ता रहा, तो पार्टी की स्थिति कमजोर हो सकती है।
दिल्ली में हार के बाद AAP के लिए पंजाब सबसे अहम राज्य बन गया है। जहां एक तरफ भगवंत मान के लिए अधिक स्वतंत्रता का मौका बन सकता है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली का बढ़ता हस्तक्षेप पार्टी के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। आने वाले महीनों में AAP की रणनीति ही तय करेगी कि पार्टी पंजाब में अपनी पकड़ बनाए रख पाएगी या नहीं।
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