Explained: क्या खत्म हो जाएगी 'देश में बदलाव लाने की बुनियाद' पर बनी AAP? क्या होगा अरविंद केजरीवाल का अगला कदम?

दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार के बाद अरविंद केजरीवाल की राजनीति के अंत की अटकलें तेज हो गई हैं, लेकिन विश्लेषकों के मुताबिक यह केवल एक झटका है, न कि उनकी सियासत का पूर्ण विराम।

Explained: क्या खत्म हो जाएगी 'देश में बदलाव लाने की बुनियाद' पर बनी AAP? क्या होगा अरविंद केजरीवाल का अगला कदम?

अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी। (फोटो- सोशल मीडिया)

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी (AAP) की हार के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या अरविंद केजरीवाल की राजनीति का अंत शुरू हो गया है? इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में से 22 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि, वोट शेयर के मामले में दोनों दलों के बीच केवल 2% का अंतर रहा—AAP को 43.57% और बीजेपी को 45.56% वोट मिले।

लेकिन क्या इस हार का मतलब यह है कि अरविंद केजरीवाल की राजनीति अब खत्म होने वाली है?

AAP की हार और राजनीतिक स्थिति

2015 और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा था। 2015 में 67 सीटें और 2020 में 62 सीटें जीतने वाली पार्टी 2025 में केवल 22 सीटों पर सिमट गई। यह साफ दर्शाता है कि पार्टी के प्रति जनता की रुचि घटी है।

इस बार आम आदमी पार्टी के वोट शेयर में 10% की गिरावट आई है, जबकि बीजेपी के वोट प्रतिशत में करीब 7% की बढ़त हुई। इससे साफ है कि जनता का झुकाव बीजेपी की ओर बढ़ा है।

इसके अलावा, अरविंद केजरीवाल अपनी पारंपरिक सीट नई दिल्ली विधानसभा से चुनाव हार गए, जो उनके लिए एक बड़ा झटका है।

क्या यह AAP के अंत की शुरुआत है?

कई मीडिया रिपोर्ट्स में इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। इसमें बताया गया है कि प्रशांत भूषण जैसे पूर्व सहयोगियों ने इस चुनावी हार को AAP के अंत की शुरुआत बताया है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी राजनीतिक दल के लिए एक चुनाव हारना उसके अंत का संकेत नहीं होता।

प्रो. संजय कुमार के मुताबिक, AAP अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, लेकिन पार्टी के सामने गंभीर चुनौतियां जरूर हैं। खासकर, अरविंद केजरीवाल और पार्टी के अन्य नेताओं के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों के कारण उनकी छवि को नुकसान हुआ है। अगर केजरीवाल को फिर से जेल जाना पड़ता है, तो पार्टी के अस्तित्व पर संकट आ सकता है।

क्या AAP राष्ट्रीय राजनीति में जगह बना पाएगी?

आम आदमी पार्टी सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है। पंजाब में उसकी सरकार है, और गुजरात में भी उसने अच्छा प्रदर्शन किया है। 2023 में चुनाव आयोग ने AAP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया था, जिससे यह साफ होता है कि पार्टी की राजनीति अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता मनोज झा का कहना है कि राजनीति में एक हार से किसी पार्टी का अंत नहीं होता। उन्होंने RJD का उदाहरण देते हुए कहा कि बिहार में कई बार हारने के बावजूद उनकी पार्टी अब भी मजबूत स्थिति में है।

क्या खत्म हो जाएगी 'देश में बदलाव लाने की बुनियाद' पर बनी AAP? क्या होगा अरविंद केजरीवाल का अगला कदम?

2025 में AAP की हार ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या वह जो बदलाव लाने की बुनियाद लेकर खड़ी हुई थी, वह अब समाप्त हो जाएगी? अरविंद केजरीवाल की नेतृत्व में पार्टी ने दिल्ली की राजनीति में जो दस्तक दी, क्या वही अब खत्म हो रही है? इस सवाल का उत्तर शायद इस बात में छिपा है कि पार्टी अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को कैसे वापस पाती है। अगर AAP अपनी कमजोरियों को सुधारने में सक्षम हो पाती है, तो यह उसके भविष्य के लिए उम्मीद की किरण हो सकती है।

यह भी देखा जा सकता है कि क्या अरविंद केजरीवाल अगले कदम के रूप में अपनी राजनीति को और मजबूत बनाने के लिए किसी नई रणनीति पर काम करेंगे या फिर वह अपनी सियासी यात्रा को खत्म मान लेंगे।

भविष्य में AAP का क्या होगा?

  1. पार्टी को छवि सुधारनी होगी: भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण AAP की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। इसे दूर किए बिना पार्टी जनता का विश्वास नहीं जीत पाएगी।
  2. दिल्ली के बाहर मजबूत पकड़ बनानी होगी: अगर AAP केवल दिल्ली पर निर्भर रही, तो उसका भविष्य संदेहास्पद हो सकता है। पंजाब और अन्य राज्यों में मजबूती लाने की जरूरत होगी।
  3. विपक्ष की भूमिका निभाने का मौका: अरविंद केजरीवाल को सत्ता में रहने के बजाय विपक्ष में रहकर सरकार को चुनौती देने का अनुभव है। अब उनके पास फिर से यह करने का मौका है।

निष्कर्ष

दिल्ली चुनाव 2025 में हार के बावजूद यह कहना जल्दबाजी होगी कि अरविंद केजरीवाल की राजनीति खत्म हो रही है। पार्टी को सुधार के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे। अगर AAP अपनी गलतियों से सबक लेती है, तो वह वापसी कर सकती है। लेकिन अगर पार्टी भ्रष्टाचार के आरोपों और अंदरूनी कमजोरियों को दूर नहीं कर पाई, तो आने वाले सालों में उसका प्रभाव धीरे-धीरे कम हो सकता है।

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